बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी पार्टियों ने बूथ लेवल तक काम करना शुरू कर दिया है। वहीं सीएम नीतीश कुमार भी आगामी चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन को मज़बूत करने की पहल करते आ रहे हैं। नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता को मज़बूत तो किया, लेकिन अभी तक इंडिया गठबंधन में सही सम्मान नहीं मिल पाया है। शायद यही वजह है कि जदयू कार्यकर्ता आए दिन नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार बनाने का ढिंढोरा पीटते आ रहे हैं।
नीतीश कुमार का इंडिया गठबंधन पर क्या प्रभाव हो सकता है, इस बात को लेकर सियासी गलियारों में भी चर्चा तेज़ हो गई है। इसी क्रम में आइए जानते हैं कि सीएम नीतीश कुमार के 5 बड़े सियासी दांव जो इंडिया गठबंधन पर दवाब बना सकता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पहले सियासी दांव की बात की जाए तो प्रदेश में जातीय गणना की रिपोर्ट (2 अक्टूबर 2023) जारी कर मास्टर स्ट्रोक खेला। इससे साफ हो गया कि किस समुदाय की कितनी आबादी है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ने प्रदेश में विभिन्न समुदायों की आर्थिक स्थिति से भी पर्दा उठा दिया।
केंद्र सरकार बिहार में जातीय गणना कराने से इनकार किया था। बिहार सरकार ने ख़ुद के ख़र्चे पर कराया। लोकसभा चुनाव से पहले इसका क्रेडिट तो सीएम नीतीश कुमार लेने की पूरी कोशिश करेंगे। वहीं दूसरी तरफ की बात की जाए तो बिहार में 75 फीसद रिज़र्वेशन लागू कर गजट भी पब्लिश हो गया है।
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को 9वीं लिस्ट में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भी भेज दिया है। इस तरह बिहार में 20 फीसदी एससी, 2 फीसद एसटी, 25 फीसद अति पिछड़ा और 18 फीसद पिछड़े वर्ग को रिज़र्वेशन का फ़ायदा मिलेगा। वहीं कमज़ोर जेनरल कैटेगरी को मिलने वाला 10 फीसद रिज़र्वेशन का प्रावधान भी जारी रहेगा। यह भी नीतीश कुमार के मास्टर स्ट्रोक के साथ देखा जा रहा है।
नीतीश कुमार के तीसरे सियासी दांव की बात करें तो वह बिहार के दौरे पर निकल कर जनता से रूबरू होने वाले हैं। वहीं चौथे दांव की बात करें तो विपक्षी दलों को एक साथ लाकर इंडिया गठबंधन तक पहुंचाने का श्रेय भी नीतीश कुमार के नाम ही है। इसके अलावा पांचवे सियासी दांव की बात करें तो भीम संसद के ज़रिए दलित और महादलित समुदाय को अपने पाले में करना चाहते हैं।
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