जातिगत जनगणना की उठती आवाज

Rohit Kumar.

बिहार में जाति गणना के आंकड़े आने के बाद सभी दलों के नेताओं द्वारा अपने राजनीतिक हितों के अनुकूल बयान दिए जा रहे हैं | जाति की संख्या के आधार पर हिस्सेदारी की बातें की जा रही है | रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 36 फ़ीसदी अति पिछड़ा , 27 फ़ीसदी पिछड़ा ,19 फ़ीसदी से ज्यादा अनुसूचित जाति, 1.68 फ़ीसदी अनुसूचित जनजाति और 15.52 फ़ीसदी अनारक्षित या स्वर्ण की संख्या है | बिहार समेत देश की राजनीति में जातिगत जनगणना की चर्चा जोर- शोर से है | भाजपा ने जातिगत सर्वे के आंकड़ों को भ्रम फैलाने का प्रयास बताया है | इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 81.9% हिंदू, 17.7% मुसलमान, 0.05% ईसाई, 0.08% बौद्ध, और 0.009% जैन हैं | 2146 लोगों नें यह बताया है कि वह किसी धर्म को नहीं मानतें हैं | राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि अनेक साजिशों, कानूनी अड़चनों, और तमाम षड्यंत्र के बावजूद जाति आधारित सर्वे को रिलीज किया गया है | केंद्र में विपक्ष के द्वारा यह कहा जा रहा है कि 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवाएंगे | गिरिराज सिंह ने कहा "जाति जनगणना बिहार की जनता और गरीबों में भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं है |" साल 1931 तक भारत में जातिगत जनगणना होती थी लेकिन साल 1941 में जनगणना के समय जाति आधारित डेटा जुटाया तो गया लेकिन प्रकाशित नहीं हो सका | इसके अलावा अलग-अलग पाटियां अपनें चुनावी सर्वे और अनुमान के आधार पर इस आंकड़े को थोड़ा कम-ज्यादा करके आंकती आई है | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सत्ता में आए तो सबसे पहले जातिगत जनगणना कराएंगे | वहीं दूसरी तरफ बिहार के ग्रामीण इलाके के लोगों का कहना है कि इसमें आम लोगों को नहीं, बल्कि नेताओं को फायदा होगा | सरकार व्यवस्था ठीक कर दे यही हमलोगों की इच्छा है | जात-पात करने से क्या मिल जाएगा, हमारे गांव में आज भी सड़क नहीं है | यहां स्कूल की व्यवस्था बदहाल है, नल जल योजना के तहत पानी ठीक से नहीं मिल रहा है | सरकार इस पर जितना पैसा खर्च कर रही है, उस पैसे से न जाने कितने गांव में विकास हो जाएगा |

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